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Wednesday, November 30, 2011




यहाँ बन रहा है '' जीवन शिल्प '' इंटर कॉलेज जो ग्रामीण क्षेत्र मे शिक्षा के द्वारा देश को विकास में सहयोग देगा.

जीवन शिल्प हर वह प्रयास करेगा जो बालको को  शिक्षित और संस्कारित करने के लिए जरुरी होगा . बच्चे हमारा भविष्य हैं वर्तमान में उन्हें शिक्षित करेंगे तभी तो भविष्य सुरक्षित होगा .   शिक्षित वर्तमान ही सुरक्षित भविष्य दे सकता है . कहा भी तो जाता है  " पड़ेगा इंडिया तभी तो बढेगा इंडिया "

Saturday, September 17, 2011

दशलक्षण महा पर्व ...
यह पर्व वैसे तो जन-जन का पर्व है.. पर अब जाने क्यों सिमटकर जैन मात्र तक ही रह गया..
अब, खैर जो भी कारण हो पर हमने यह पर्व बहुत उत्साह से मनाया. पर मन कुछ दुखी तब हो जाता था... जब लोग इसे सही ढंग से समझे बिना और पर्वो की तरह बिना कुछ सोचे समझे मनाये जाते है..मै.. मै  सिर्फ यह कहना चाहता हु या कहने की हिम्मत कर रहा हु कि यह पर्व मै यानि आत्मा से रिलेटिड है.. और हम मानते  शरीर के स्तर पर है...  पर्व हमारे लिए है छुटने वाले शरीर के लिए नहीं...
और हा यह है भी आत्मा का धर्म फिर शरीर के स्तर तक ही क्यों... हा शरीर साधन जरुर है पर साध्य तो आत्मा है ... तो उसके लिए हमने क्या किया..? क्या कहा...  उपवास, व्रत, प्रवचन  सुने,  पूजा  की ...
और ...? 
पर आत्मा या मन की विशुधि कितनी हुई इस पर ध्यान कितना गया...
जबके सोचना यही से शुरू होता है जहा शायद हम पहुचते ही नहीं...

" हर बार हमें यह सोचकर हसी आई ..
जाना है हमने सबको खुदको न जान पाय "

 भाई  वाह धर्म करने चले है... और धर्म किसे कहते है.. यह खबर ही नहीं... आश्चर्य तो इस बात का है कि हमारे पास धर्म करने का समय तो है..पर.. धर्म को समझने का समय नहीं है...  हम धर्म करना  तो चाहते  है पर उसे समझना नहीं चाहते...
खैर... मै तो मौज मै हु...
 और आप सबको उत्तम क्षमा कहना चाहता हु... सो मेरे प्रति सब क्षमा धारण करे इस भावना के साथ मै आपसे जल्दी ही फिर मिलेगा...   

Monday, September 5, 2011

जय जिनेन्द्र....


 






प्रत्येक आत्मा को परमात्मा बताने वाला महान जैनधर्म हर एक उस व्यक्ति का है जो सुखी होना चाहता है....
                          पर्वराज पर्युषण चल रहे है...
यह पर्व खाने-पीने के नही, मौज-मस्ती के भी नहीं ये तो इन सबको त्याग कर आत्म-आराधना से अपने को जोड़ने का महान अवसर है...
अपने को अपने मे मोहने का स्वभाव से जोड़ने  वाला यह स्वर्णिम मौका है...
तो उठाओ इस अवसर का लाभ और करो... क्चामा,मार्दव,आर्जव,शौच,सत्य,संयम,तप,त्याग,अकिंचन,ब्रह्मचर्य इन दशधर्मो की आराधना...

Friday, August 26, 2011


मेरा घर ...... आपका कहा है...?

तुलना कहा तक सही है...

आओ...जन-आंदोलन के एतिहासिक क्षणों के साक्षी हो जाये...
हमारे गाँधी जी ने अंग्रेजो को भारत से भगाने के लिए कई आंदोलन किया वही     जे.पी. का आंदोलन (सम्पूर्ण क्रांति  ) कांग्रेस पार्टी को सता से हटाने से संबधित था मगर अन्ना का आंदोलन व्यवस्था परिवर्तन से संबधित हैं ऐसे में किसी की आपस में तुलना करना किसी एक का कद छोटा करना हैं कहा तक सही है... तीनों ही शख़्स अपने आप में महान हैं......




Tuesday, August 23, 2011

Thursday, August 11, 2011

ऐसे लोग हो जन नायक.....

पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह अंगरक्षक और सेना के अधिनायक के साथ भ्रमण
पर निकले थे. शहर के बीचों-बीच वाली सड़क पर पहुँचे ही थे कि अकस्मात् एक
ढेला आकर महाराजा के माथे पर लगा, उन्हें बहुत तकलीफ हुई. अंगरक्षक और सेना
के लोग दौड़े और एक बुढ़िया को पकड़ लाये. बुढ़िया ने हाथ जोड़कर कहा--
सरकार ! मेरा बच्चा तीन दिनों से भूखा था, खाने को कुछ नहीं था. मैंने पके
बेल को देखकर ढेला मारा था. ढेला लग जाता, बेल टूट पड़ता उसे खिलाकर मैं
अपने बच्चे का प्राण बचा सकती. लेकिन दुर्भाग्य से ढेला आपको लग गया. मैं
निर्दोष हूँ, मुझे क्षमा कर दीजिये, महाराज ! महाराजा ने करुणा भरी दृष्टि
से बुढ़िया की ओर देखते हुए कहा-' बुढ़िया को एक हजार रूपये और खाने का
सामान देकर आदरपूर्वक घर भेज दो'. मंत्री ने कहा यह क्या कर रहे हैं,
महाराज! इसने आपको ढेला मारा है, इसे तो दंड मिलना चाहिए.महाराज हंस पड़े.
उन्होंने कहा- मंत्री जी, जब बिना बुद्धि वाला पेड़ ढेला मारने पर सुन्दर
फल देता है अब मैं प्राण और बुद्धि वाला होकर उसे दण्ड कैसे दे सकता
हूँ.आज आवश्यकता है इसे उदार, सरल प्रकृति के व्यक्तित्व क़ी. ऐसे लोग ही
पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह अंगरक्षक और सेना के अधिनायक के साथ भ्रमण
पर निकले थे. शहर के बीचों-बीच वाली सड़क पर पहुँचे ही थे कि अकस्मात् एक
ढेला आकर महाराजा के माथे पर लगा, उन्हें बहुत तकलीफ हुई. अंगरक्षक और सेना
के लोग दौड़े और एक बुढ़िया को पकड़ लाये. बुढ़िया ने हाथ जोड़कर कहा--
सरकार ! मेरा बच्चा तीन दिनों से भूखा था, खाने को कुछ नहीं था. मैंने पके
बेल को देखकर ढेला मारा था. ढेला लग जाता, बेल टूट पड़ता उसे खिलाकर मैं
अपने बच्चे का प्राण बचा सकती. लेकिन दुर्भाग्य से ढेला आपको लग गया. मैं
निर्दोष हूँ, मुझे क्षमा कर दीजिये, महाराज ! महाराजा ने करुणा भरी दृष्टि
से बुढ़िया की ओर देखते हुए कहा-' बुढ़िया को एक हजार रूपये और खाने का
सामान देकर आदरपूर्वक घर भेज दो'. मंत्री ने कहा यह क्या कर रहे हैं,
महाराज! इसने आपको ढेला मारा है, इसे तो दंड मिलना चाहिए.महाराज हंस पड़े.
उन्होंने कहा- मंत्री जी, जब बिना बुद्धि वाला पेड़ ढेला मारने पर सुन्दर
फल देता है अब मैं प्राण और बुद्धि वाला होकर उसे दण्ड कैसे दे सकता
हूँ.आज आवश्यकता है इसे उदार, सरल प्रकृति के व्यक्तित्व क़ी. ऐसे लोग ही जन नायक बन सकते हैं.
पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह अंगरक्षक और सेना के अधिनायक के साथ भ्रमण
पर निकले थे. शहर के बीचों-बीच वाली सड़क पर पहुँचे ही थे कि अकस्मात् एक
ढेला आकर महाराजा के माथे पर लगा, उन्हें बहुत तकलीफ हुई. अंगरक्षक और सेना
के लोग दौड़े और एक बुढ़िया को पकड़ लाये. बुढ़िया ने हाथ जोड़कर कहा--
सरकार ! मेरा बच्चा तीन दिनों से भूखा था, खाने को कुछ नहीं था. मैंने पके
बेल को देखकर ढेला मारा था. ढेला लग जाता, बेल टूट पड़ता उसे खिलाकर मैं
अपने बच्चे का प्राण बचा सकती. लेकिन दुर्भाग्य से ढेला आपको लग गया. मैं
निर्दोष हूँ, मुझे क्षमा कर दीजिये, महाराज ! महाराजा ने करुणा भरी दृष्टि
से बुढ़िया की ओर देखते हुए कहा-' बुढ़िया को एक हजार रूपये और खाने का 
सामान देकर आदरपूर्वक घर भेज दो'. मंत्री ने कहा यह क्या कर रहे हैं,
महाराज! इसने आपको ढेला मारा है, इसे तो दंड मिलना चाहिए.महाराज हंस पड़े.
उन्होंने कहा- मंत्री जी, जब बिना बुद्धि वाला पेड़ ढेला मारने पर सुन्दर
फल देता है अब मैं प्राण और बुद्धि वाला होकर उसे दण्ड कैसे दे सकता
हूँ.आज आवश्यकता है इसे उदार, सरल प्रकृति के व्यक्तित्व क़ी. ऐसे लोग ही जन नायक बन सकते हैं

Wednesday, August 3, 2011

किसानो के हालात..

सरकार ने भूमि अधिग्रहण पर नए विधेयक का मसौदा पेश किया है. क्या ये नया विधेयक सचमुच किसानों और मज़दूरों को न्याय दिला पाएगा? या फिर किसानो के हाथ लगेगी वही पुरानी निराशा, जिससे वह अब तक दो-चार होता आया है...

Thursday, June 9, 2011

ऐसे-ऐसे स्मारक

देश मे जहा एक ओर बुरे और बेईमानो की कमी नहीं वही कुछ लोग ऐसे भी है जो हमेशा अच्छे कामो में संलग्न रहते है...  
जी है ऐसी ही एक संस्था का नाम है पंडित टोडरमल स्मारक भवन जयपुर. 
यह संस्था हमेशा अच्छे कामो मे सदैव तत्पर रहता है.इस संस्था में ढेरो गतिविधिया चलती रहती है यहा से कई छात्र अच्छे संस्कार, अच्छे विचार लेकर समाज को सुन्दर और सुव्यवस्थित बनाने का कम करते रहते है.. ३० वर्ष से भी ज्यादा समय से तत्व ज्ञान में संलग्न यह संस्था जगत के दुखी जीवो को सुखी होने का मार्ग बताती आ रही है.. 
यह संस्था संसार रूपी रेगिस्थान में कल्प व्रक्छ के समान शीतलता देने वाली है...

Wednesday, June 1, 2011

मैंने देखा है...
मैंने लोगों को waste होते देखा है

बुराइयों को cut, copy, paste होते देखा है
देखा है रातों को जागते, दिनों को सोते

मैंने धूल-ए-ज़मीं को Everest होते देखा है

Thursday, May 26, 2011


Dयर सिस्टर जन्म दिन की बहुत-बहुत शुभ कामनाये...
जन्मो का अभाव कर शिवपुर गामी बनाने का प्रयास करो यही कमाना...

अनुभवियो ने कहा है.....
चैतन्य का अनुभव प्रतिछन करो रे.....
भव के अनंत दुःख को छन मे हरो रे.....

पर संसारी दिल भी कुछ कहता है....
सारी उम्र तुम्हे लग जाती
सारे सुख तुमको मिल जाते
खुशिया सारी तुम्हे सौपकर
अश्रु तुम्हारे हम पी जाते
तुम झूलो मे रहो झूलते
लोरी गा हम तुम्हे सुलाते
अगर कही ऐसा हो पता.........
          योर बिग बी

Thursday, May 5, 2011

अरुंणाचल के मुख्यमंत्री के निधन जैसे गंभीर मामले पर केन्द्र सरकार के तीन कैबनेट मंत्रियों की अलग-अलग जबान- जहाँ गृह मंत्री घटना की तफ्तीश की बात कर रहे हैं, वहीं विदेश मंत्री ने शोक संदेश भसी जारी कर दिया और फिर गलती सुधारते हुए उसे वापस भी ले लिया तो पूर्वात्तर विकास मंत्री ने सीएम के निधन की पुष्टि भी कर दी। वाह! री सरकार ...

Monday, April 11, 2011

280 लाख करोड़ का सवाल है ...

कौन कहता है कि भारतीय गरीब है....
 भारत देश कभी गरीब नहीं रहा"*
ऐसा हम नही बल्कि स्विस बैंक के डाइरेक्टर का कहना है.
स्विस बैंक के डाइरेक्टर ने यह भी कहा है कि भारत का लगभग 280 लाख करोड़ रुपये (280 ,00 ,000 ,000 ,000) उनके स्विस बैंक में जमा है. ये रकम इतनी है कि भारत का आने वाले 30 सालों का बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है.
या
यूँ कहें कि 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिए जा सकते है. या यूँ भी कह सकते है कि भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक 4 लेन रोड बनाया जा सकता है. ऐसा भी कह सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है. ये रकम इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर महीने भी दिए जाये तो 60 साल तक ख़त्म ना हो. यानी भारत को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने कि कोई जरुरत नहीं है.
जरा सोचिये ...
हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और नौकरशाहों ने कैसे देश को लूटा है और ये लूट का सिलसिला अभी तक यानि 2011 तक जारी है. इस सिलसिले को अब रोकना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है. अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज करके करीब 1 लाखकरोड़ रुपये लूटा. मगर आजादी के केवल 64 सालों में हमारे भ्रस्टाचार ने २८० लाख करोड़ लुटे है. एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64 सालों में 280 लाख करोड़ है. यानि हर साल लगभग 4.37 लाख करोड़, या हर महीने करीब 36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा करवाई गई है. भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है. सोचो की कितना पैसा हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके रखा हुआ है. हमे भ्रष्ट राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकार है. हाल ही में हुए  घोटालों का आप सभी को पता ही है - CWG घोटाला, २ जी स्पेक्ट्रुम घोटाला , आदर्श होउसिंग घोटाला ... और ना जाने कौन कौन से घोटाले अभी उजागर होने वाले है......   हम तो यही कहेगे की 'अब-बस-करो'  वरना जनता तो जनता है..

Thursday, April 7, 2011

लो रोको
तूफान चला रे.....

भ्रष्टाचार के
 शिखर ढहाता
लो रोको
 तूफान
चला रे.....
अन्‍ना हजारे की मुहिम सरकारी नाकामी के खिलाफ एक जन प्रतिक्रिया है स्‍वतंत्र भारत में पहली बार किसी कानून को लेकर इतना बड़ा जनसमुदाय उठ खड़ा हुआ है....अन्‍ना के साथ जुड़कर हम भी अपने को गौरवांवित महसूस कर रहे हैं


मित्रों.. आपको पता होगा कि जिस बिल के लिए अण्णा हजारे अनशन पर बैठे हैं..उसे भारत की भ्रष्ट सरकारें ९ बार रिजेक्ट कर चुकी है.. और कॉग्रेस भी ऐसे पास करना चाहती है..जैसे बिना दांतों का शेर..यानि कि नाम के लिए..इसलिए अपनी आनेवाली पीढ़ी को भ्रष्ट ताकतों से बचाने के लिए इस 78 साल के शेर का समर्थन करने जंतर-मंतर पर जरुर जाएं.. अरे जाएं क्या... चलो... वही मिलते है.....


भारत देश हमारा देश.....
प्यारा-प्यारा भारत देश
हम वासी यह घर हमारा
हम प्यासे यह जल जैसे..
नदी, समुद्र, पेड़, अरु
जीवित सारे प्राणी..
लोक मंच है यही हमारा
हमको भी है प्यारा..
प्यारा-प्यारा भारत देश




Tuesday, April 5, 2011


विश्व गौरव दिवस आने वाला है....

Friday, April 1, 2011

क्रिकेट कप या विश्व कप

आ गया भाई... क्रिकेट कप  या विश्व कप खैर इंडिया कप तो यह जरुर ही कहो इसे क्योंकि जिसे हमारे यहाँ के आधे से अधिक लोग यानि ६० करोड़ से भी ज्यादा लोग देखते हो उस खेल का क्या कहना.. मै तो बस यही कहुगा कि इस कप में जो भी जीते मेहनत और अपनी सूझबूझ से ही जीते...
फिर चाहे वह इंडिया हो या पड़ोसी श्रीलंका....
ये बात और है कि मै भारतीय हु इसलिए भारत की ही जीत चाहूगा और शायद्  वही बात करू  भी पर सच्चे मन से यही कहूगा कि जीतना  उसे ही चाहिए जो अच्छा खेले.....

Monday, March 28, 2011

होली...., होली.

आखिर हमने होली मना ही डाली. ये बात और है कि इससे देश- दुनिया के पर्यावरण ko अच्छा खासा नुकसान हुआ तो दूसरी ओर हमारी जेब भी ढीली हुई.
मै होली का विरोधी नहीं हू, बल्कि उसे मनाने के तरीके मै  सुधार चाहता हू. जिसका होना हमारे जीवन के लिए बेहद जरूरी हो गया है. स्कूली समय मे एक कविता थी, कि ''परंपरा ko अंधी लाठी से मत तोड़ो......'' और तोड़ने कि जरुरत ही क्या है? हा सोचने कि जरूरत अवश्य है. हमारे जितने पर्व है वे सारे ही पर्व अच्छे विचार, सन्देश देते है, पर हम दीवाली पर राम के आदर्श या विचारो ko नही बल्कि रावण के विचारो ko..., होली पर अपनी बुराइया जलाने और आपसी शत्रुता मिटाते नही बल्कि लोगो से चंदा बसूल कर लकडिया जलाते है और  आपसी शत्रुता निकालने में लग जाते है..
हमारे सारे भारतीय पर्व एक व्यापक मेसेज ko अपने अंदर संजोय रहते है. बस हमें उन पर ध्यान देने
 कि जरूरत है.... 

Friday, March 18, 2011

हम होंगे कामयाब एक दिन

- A translation of english song
All of us have heard "हम होंगे कामयाब" innumerable times in India. This song is translation of famous english song 'We shall Overcome' -- a song with origins in early 1900s in America. It became quite famous there during civil rights movement in 1960s. You can find more information about this at Wikipedia . The tune of hindi song is same as that of its english original (I think it's probably one of the most recognized tune in the world).
हम होंगे कामयाब,
हम होंगे कामयाब एक दिन
हो हो हो मन मे है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब एक दिन

Monday, February 14, 2011

विश्व प्रेम हेतु Good Morning -
Good Evening  इत्यादि छोड़िए...
         अभिवादन में मात्र
    " I Love U " ही बोलिये...

Sunday, January 2, 2011

Saturday, January 1, 2011

नव वर्ष की मुझे भी देनी पड़ी बधाई...

नया वर्ष आया रे - नया वर्ष आया रे
 हर्ष हर्ष छाया रे - हर्ष हर्ष छाया रे
                                            भाई वाह, लो अब 2011 बनकर फिर से आ गया यह नववर्ष. गये साल की तरह इसे भी हमने मना डाला. इसे मनाने में भी हमने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. और छोड़े भी क्यों..?  हमें तो अवसर चाहिए...
और इससे बेहतर मौका हमें कहा मिलेगा. वैसे भी हमें विदेशी पर्वो को मनाना अपनी शान लगता है सो शान के खातिर हम सबकुछ कर गुजरने को भी तैयार हो जाते है... फिर चाहे इसके लिए हमें अपनी संस्क्रति या संस्कारो से ही समझौता क्यों न करना पड़े...