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Wednesday, December 2, 2015

क्षमा करो निशल्य रहो और जीवन शिल्प करो

जीवन शिल्प करो
क्या कभी आपने खुद से क्षमा मांगी है?
हमे दूसरों के प्रति अच्छा बनना सिखाया जाता है,
पर हम खुद के प्रति कठोर बने रहते है।
अपने प्रति कई गलतियां करते हैँ जैसे.......
$=अनावश्यक चिंताओं से घिरे रहना।अपने ज्ञान को बढ़ने से रोकना।हर समय खुद को हीन मानना ।खुद से प्यार न करना ।स्वस्थ जीवन शैली नहीं अपनाना। वह कार्य न करना, जिनसे आप अपनी और दूसरों की मदद कर सकते हैँ।
$=क्षमा करो नि:शल्य रहो- मतलब कि क्षमा मांगकर आप अपनी समस्त शल्य दूर क्र देते हैं।
$=क्षमा मांगने का अर्थ यह नहीं कि आप गलत हैँ और दूसरा सही। इसका अर्थ यह है कि आप अपने रिश्तो की कद्र करते हैँ।
$=किसी को माफ़ न करना,उस व्यक्ति के साथ न चाहकर भी अपने सम्बन्धों को बनाए रखना है।
क्षमा से आप उस व्यक्ति से अपने सम्बन्धों को हल्का करते हैँ।
$=माफ़ी मांगते समय बहाने न बनाए  ईमानदरी बरतें। विनम्र रहे।।
$=समय का ध्यान रखें। घाव भरने का समय दे और तब तक उस गलती की सजा भुगतने के लिए तैयार रहे।
$=माफ़ी मांगते और माफ़ करते समय अहंकार भावना से दूर रहे।

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