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Sunday, October 31, 2010

घोटालों की ओर...

भारत देश अब घोटालों का देश बनता जा रहा है। यहॉ आए दिन घोटाले होते रहते हैं। पहले जहॉ इसे शर्म से डूब मरने वाली बात मानी जाती थी वही अब इसे फैशन समझकर नामी-गिरामी नेता अपनाते जा रहे हैं। यह अब कोई बड़ा अपराध नही रह गया। पहले की बात की जाए तो राजीव गॉधी के समय उनके कुछ करोड़ के घोटाले का पर्दाफास होने से कांग्रेस की सरकार को सत्ता से हाथ धोने पड़ गए थे,और अब तो लालू ,कोड़ा और हाल ही में हुए कॉमनवेल्थ गेम में अरबों रुपए का घोटाला होने के बावजूद भी सरकार क्या घूस खोर भी अपनी जगह पर ही खिल-खिलाकर हंसते देखे जा सकते हैं।कहते हैं जमाना बदल गया अब तो नेता आपस में मिलने पर यही पूछते हैं कि तुमने कितने घोटाले किए। खैर जाने दीजिए इन बातों में हम पढ़े ही क्यों? लेकिन एक बात जरुर समझना चाहता हूं, आखिर देश को धोके में डालकर या उससे गद्दारी करके कमाएं करोड़ो रुपए से अपनी तिजोरी भरने वाले ये गद्दा कितने फल-फूल पाएंगे? आखिरकार पैसे से खाना आ सकता है, पर उसे खाने के लिए भूख कहॉ से लाओगे ? पैसे से भीड़ मिल सकती है, पर सच्चा प्यार कहॉ से लाओगे ? आराम के बिस्तर लाए जा सकते हैं पर आराम या नींद कहॉ से लाएगे ?




आदमी को आदमी में खोजता हूं में।


जाने क्यों परमात्मा से जूझता हू में।।


हॉ पता है कल ये धरती नाज देती थी।


हुई बंजर अब भला क्या खाक देती है।।

1 comment:

Anonymous said...

good..