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Saturday, September 11, 2010

नाम का लोभ क्यों करते हैं लोग ?

जीव-आत्मा की कहानी कुछ इस तरह की है  कि वह एक के बाद एक जन्म धारण करता है फिर भी हमेशा नए जन्म को पाकर नाम बनाने के चक्कर में  मदमस्त संसार सागर में इस क़दर  डूब जाता  है  कि वहां  कैसे भी नाम बने बस,  अपना नाम बनाना चाहता है पर आखिर क्यों ?  कुछ ख़बर नही....


जग में मिथ्यात्वी जीव भ्रम करे है सजीव,


भ्रम के प्रभाव से बहा है आगे बहेगा ।


नाम रखिवे को महारम्भ करे दंभ करे,


यो न जाने दुर्गति में दुख कौन सहेगा।।


बार-बार कहे में ही भागचन्द धनवन्त.


मेरा नाम जगत में सदाकाल रहेगा।


यही ममता सो गहो आयो है अनंतकाल,


आगे योनि-योनि में अनंत नाम गहेगा।।

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