आज मुझे जीवन शिल्प की सार्थकता कई मायने में नजर आई, लगा अब हमारी तलाश और मेहनत रंग दिखाने लगी है। नये सत्र की शुरुवात हो चुकी है बच्चें एडमिशन के लिये ख़ुशी ख़ुशी आ रहे हैं।इसी दौर में हुआ यूँ 9th क्लास के न्यू एडमिशन के लिए अपने दादा के साथ आये एक लड़के से जब मैंने पूछा क्या बनना है उसने जोश से कहा आईएएस कुशाग्र बुध्दि इस बालक का दिमाग जितना तेज लगा, पता करने पर उसकी परेशानिया भी उतनी ज्यादा थी। उसकी माँ नही हैं। पिता को शराब की बुरी लत है। ये 4 भाई हैं जिसमें ये सबसे बड़ा हैं। लेकिन फिर भी ये अपनी जिम्मेदारियां निभाते हुए पढ़ना चाहता है।
अटल जी की कविता प्रासंगिक है-
पुष्प कंटको में खिलते हैं।
दीप अंधेरों में जलते हैं।।
आज नही प्रहलाद युगों से।
पीडाओं में ही पलते हैं।।
इन जैसे बालकों को उस मंजिल तक पहुचाने में जीवन शिल्प इण्टर कॉलेज परिवार सदैव आप सब के साथ मिलकर कार्य करता रहेगा।
आखिर यह देश हमारा ही तो है।
और हम वशुधैव कुटुम्बकम् की संस्कृति वाले लोग है।
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Monday, April 20, 2015
जीवन शिल्प सफल हो....
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