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Friday, October 6, 2017

क्षमामय रही गाँधी जयंती

जीवन शिल्प में विगत वर्षों की तरह इस वर्ष भी 2 अक्टूवर गाँधी जयंती और लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्मदिवस के साथ उनकी विशेषताओं को समर्पित रहा। इस दिन विशाल झांकी के साथ जुलुस द्वारा नगर भ्रमण किया गया।
विशेष रूप से इस दिन को जीवन शिल्प क्षमा पर्व के रूप में मनाता आ रहा  है। इसका लक्ष्य जीवन में ईर्ष्या, द्वेष, क्रोधादि से दूर कर परस्पर सहयोग, मैत्री, दया, करुणा, क्षमादि गुण प्रगट कर छात्र जीवन में ही वास्तविक शिक्षा को आत्मसात् कराना है।
भारतीय शिक्षण पद्धति को अपने में संजोने का प्रयास करता जीवन शिल्प शिक्षा के साथ सदैव जीवन मूल्यों के साथ मूल्यपरक शिक्षा की बात करता है।
गाँधी और शास्त्री को याद करते हुए क्षमा पर प्रकाश डालते कैलाश चन्द जैन ने कहा कि जब हम किसी को बुरा कहेंगे तो वह भी हमे बुरा ही कहेगा पर जब हम भला कहेगे तो सामने वाला भी अच्छे उत्तर के लिए तैयार होता है।
संस्था प्रबन्धक विकास जैन ने आज के समय के अनुसार बदलाव के लिए महापुरुषों की जयकार की जगह उनके गुणों को अपने में उतारने की बात पर जोर देते हुए अपने क्षेत्र में शिक्षा के साथ क्षमा की उपयोगिता को दर्शाया। दो अक्षर का क्षमा शब्द अपने में अनेक रहस्य और गुथ्थियों को सुलझाने का साहस प्रदान करता है।
आज छोटे से कारण से हुई अनेक लड़ाई परिवारों को अस्पताल और जेल पहुँचाते हुए समाचारों में अक्सर देखी जा सकती है। ऐसे में यदि शुरुआत में ही 'क्षमा करे' या 'sorry' बोल दिया जाएं तो अस्पताल और पुलिस के प्रकोप से बचा जा सकता है।
विद्यालय परिसर में क्षमा पर्व के इस पुनीत अवसर पर सभी ने आपस में क्षमा माँग कर विनम्रता का परिचय दिया।
अंत में सभी जीवन शिल्प इण्टर कॉलेज और जीवन शिल्प पब्लिक स्कूल के छात्र/छात्राओं को क्षमा धारण करने का संकल्प दिलाया गया।
कार्यक्रम के समापन के बाद सभी विद्यार्थी अपने कक्षाओं में पहुचे उनका आएं अतिथियों द्वारा नैतिक शिक्षा और सामान्य ज्ञान से सम्बंधित प्रश्न पूछकर मौखिक परीक्षण किया गया। जिसमें सभी छात्रों ने बढ़-चढ़-कर हिस्सा लिया।
कार्यक्रम में कैलाशचन्द जैन, राजकुमार जैन, अखिलेश जैन, प्रबन्धक विकास जैन, अभिभावक जन एवं सभी जीवन शिल्प शिक्षक और छात्र/छात्रा उपस्थित रहे।

क्षमामय रही गाँधी जयंती

जीवन शिल्प में विगत वर्षों की तरह इस वर्ष भी 2 अक्टूवर गाँधी जयंती और लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्मदिवस के साथ उनकी विशेषताओं को समर्पित रहा। इस दिन विशाल झांकी के साथ जुलुस द्वारा नगर भ्रमण किया गया।
विशेष रूप से इस दिन को जीवन शिल्प क्षमा पर्व के रूप में मनाता आ रहा  है। इसका लक्ष्य जीवन में ईर्ष्या, द्वेष, क्रोधादि से दूर कर परस्पर सहयोग, मैत्री, दया, करुणा, क्षमादि गुण प्रगट कर छात्र जीवन में ही वास्तविक शिक्षा को आत्मसात् कराना है।
भारतीय शिक्षण पद्धति को अपने में संजोने का प्रयास करता जीवन शिल्प शिक्षा के साथ सदैव जीवन मूल्यों के साथ मूल्यपरक शिक्षा की बात करता है।
गाँधी और शास्त्री को याद करते हुए क्षमा पर प्रकाश डालते कैलाश चन्द जैन ने कहा कि जब हम किसी को बुरा कहेंगे तो वह भी हमे बुरा ही कहेगा पर जब हम भला कहेगे तो सामने वाला भी अच्छे उत्तर के लिए तैयार होता है।
संस्था प्रबन्धक विकास जैन ने आज के समय के अनुसार बदलाव के लिए महापुरुषों की जयकार की जगह उनके गुणों को अपने में उतारने की बात पर जोर देते हुए अपने क्षेत्र में शिक्षा के साथ क्षमा की उपयोगिता को दर्शाया। दो अक्षर का क्षमा शब्द अपने में अनेक रहस्य और गुथ्थियों को सुलझाने का साहस प्रदान करता है।
आज छोटे से कारण से हुई अनेक लड़ाई परिवारों को अस्पताल और जेल पहुँचाते हुए समाचारों में अक्सर देखी जा सकती है। ऐसे में यदि शुरुआत में ही 'क्षमा करे' या 'sorry' बोल दिया जाएं तो अस्पताल और पुलिस के प्रकोप से बचा जा सकता है।
विद्यालय परिसर में क्षमा पर्व के इस पुनीत अवसर पर सभी ने आपस में क्षमा माँग कर विनम्रता का परिचय दिया।
अंत में सभी जीवन शिल्प इण्टर कॉलेज और जीवन शिल्प पब्लिक स्कूल के छात्र/छात्राओं को क्षमा धारण करने का संकल्प दिलाया गया।
कार्यक्रम के समापन के बाद सभी विद्यार्थी अपने कक्षाओं में पहुचे उनका आएं अतिथियों द्वारा नैतिक शिक्षा और सामान्य ज्ञान से सम्बंधित प्रश्न पूछकर मौखिक परीक्षण किया गया। जिसमें सभी छात्रों ने बढ़-चढ़-कर हिस्सा लिया।
कार्यक्रम में कैलाशचन्द जैन, राजकुमार जैन, अखिलेश जैन, प्रबन्धक विकास जैन, अभिभावक जन एवं सभी जीवन शिल्प शिक्षक और छात्र/छात्रा उपस्थित रहे।

क्षमामय रही गाँधी जयंती


जीवन शिल्प में विगत वर्षों की तरह इस वर्ष भी 2 अक्टूवर गाँधी जयंती और लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्मदिवस के साथ उनकी विशेषताओं को समर्पित रहा। इस दिन विशाल झांकी के साथ जुलुस द्वारा नगर भ्रमण किया गया।
विशेष रूप से इस दिन को जीवन शिल्प क्षमा पर्व के रूप में मनाता आ रहा  है। इसका लक्ष्य जीवन में ईर्ष्या, द्वेष, क्रोधादि से दूर कर परस्पर सहयोग, मैत्री, दया, करुणा, क्षमादि गुण प्रगट कर छात्र जीवन में ही वास्तविक शिक्षा को आत्मसात् कराना है।
भारतीय शिक्षण पद्धति को अपने में संजोने का प्रयास करता जीवन शिल्प शिक्षा के साथ सदैव जीवन मूल्यों के साथ मूल्यपरक शिक्षा की बात करता है।
गाँधी और शास्त्री को याद करते हुए क्षमा पर प्रकाश डालते कैलाश चन्द जैन ने कहा कि जब हम किसी को बुरा कहेंगे तो वह भी हमे बुरा ही कहेगा पर जब हम भला कहेगे तो सामने वाला भी अच्छे उत्तर के लिए तैयार होता है।
संस्था प्रबन्धक विकास जैन ने आज के समय के अनुसार बदलाव के लिए महापुरुषों की जयकार की जगह उनके गुणों को अपने में उतारने की बात पर जोर देते हुए अपने क्षेत्र में शिक्षा के साथ क्षमा की उपयोगिता को दर्शाया। दो अक्षर का क्षमा शब्द अपने में अनेक रहस्य और गुथ्थियों को सुलझाने का साहस प्रदान करता है।
आज छोटे से कारण से हुई अनेक लड़ाई परिवारों को अस्पताल और जेल पहुँचाते हुए समाचारों में अक्सर देखी जा सकती है। ऐसे में यदि शुरुआत में ही 'क्षमा करे' या 'sorry' बोल दिया जाएं तो अस्पताल और पुलिस के प्रकोप से बचा जा सकता है।
विद्यालय परिसर में क्षमा पर्व के इस पुनीत अवसर पर सभी ने आपस में क्षमा माँग कर विनम्रता का परिचय दिया।
अंत में सभी जीवन शिल्प इण्टर कॉलेज और जीवन शिल्प पब्लिक स्कूल के छात्र/छात्राओं को क्षमा धारण करने का संकल्प दिलाया गया।
कार्यक्रम के समापन के बाद सभी विद्यार्थी अपने कक्षाओं में पहुचे उनका आएं अतिथियों द्वारा नैतिक शिक्षा और सामान्य ज्ञान से सम्बंधित प्रश्न पूछकर मौखिक परीक्षण किया गया। जिसमें सभी छात्रों ने बढ़-चढ़-कर हिस्सा लिया।
कार्यक्रम में कैलाशचन्द जैन, राजकुमार जैन, अखिलेश जैन, प्रबन्धक विकास जैन, अभिभावक जन एवं सभी जीवन शिल्प शिक्षक और छात्र/छात्रा उपस्थित रहे।