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Wednesday, November 3, 2010
शर्दी हो गई शुरु.. अब तो पहनो कपड़े..
शर्दी की शुरुआत हो चुकी है बहुत समय से पैक किए रखे गर्म कपड़े और रजाईयां भी अपने घरोदों से निकल रहे हैं तो कही निकलने को बेताव हैं। ऐसे में मौसम का बदलता मिजाज भी खा़स एतियात बरतने का निर्देश देता है। और यह केवल कहने को नही बल्कि करने के एतियात हैं। जैसे खाने-पीने में, पहने-ओढ़ने में और उठने-बैठने जैसी कुछ सावधानियां मौसम के बदलाव संबंधी बीमारियों से निजात दिलाने में महत्वपूर्ण पार्ट अदा करती हैं। खास तौर पर में युवक-युवतियों से कहना चाहूगा कि वे उस समय कुछ ऐसा पहने की जिससे उनके सारे अंगों को अम्बर मिल जाए। कई बार फैशन या मौसम की न समझी के कारण भी हमे रोगों से दो-चार होना पढ़ता है। खैर में भी एक युवा हू और इस नाते ही सही पर में अपने युवा साथिओं से इतना जरुर कहूगा कि वे लापरवाही से नही हर जगह समझदारी से काम ले, जल्दबाजी या तुनक मिजाजी से नही बल्कि धैर्य से काम करे।
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1 comment:
good...
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