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Thursday, October 21, 2010
क्या हम जिन्दा है ?
देश की सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक सभी व्यवस्थाये चरमरा रही है : और इसकी वजह है आचार की जगह दुराचार का बोल-बाला होना : इसको बढ़ाबा देने वाले भी कोई और नहीं हम खुद ही है : अब तो दुराचार फैशन बन गया है : ऐसा नहीं कि पहले दुराचार नहीं था : पर तब दुराचार को दुराचार समझा जाता था, और दुराचारी को एक डर बना रहता था : लेकिन अब तो इन्ही की जमात देखने को मिलती है : जो आधुनिकता और फैशन के नाम पर इसे दिन-दुनी रात-चौगनी गति से बढ़ने मै लगे है : और कही न कही हम भी इसे फैलाने मै उनका सहयोग कर रहे है :पहले दुराचार की बात सोचना भी गलत माना जाता था, फिर मात्र करना गलत माना जाने लगा, धीरे-धीरे दुराचार करना नहीं मात्र दुराचारी कहलाना गलत माना जाने लगा और अब तो यह फैशन मै है :
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2 comments:
बहुत अच्छा !
yahi vastvikta hai hamare samaj ki
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